भागवत


भागवत माहात्म्य भागवत प्रतिपाद्य विषय

कृष्णद्वैपायन महर्षि श्रीवेदव्यास कृत श्रीमद्भागवत महापुराण सर्वशास्त्र शिरोमणि एवं सर्वप्रमाण चक्रवर्ती होने से परमसत्य परमेश्वर तत्त्व का सर्वश्रेष्ठ प्रतिपादक ग्रंथ है । परमसत्य परमेश्वर तत्त्व सम्बन्धी सिद्धान्तों का जैसा निरूपण श्रीमद्भागवत शास्त्र में हुआ है,वैसा अन्य किसी शास्त्र में उपलब्ध नहीं है । महर्षि श्री वेदव्यास जी को वेद-विभाजन,सत्रह पुराण,महाभारत नामक विराट इतिहास ग्रन्थ व उपनिषद ज्ञान का सार-सर्वस्व वेदान्त सूत्र का संकलन करने पर भी जब आत्मसंतुष्टि प्राप्ति नहीं हुई,तब उन्होंने श्री नारद जी के उपदेशानुसार श्रीमद्भागवत नामक अठारहवाँ पुराण संकलित किया । इसके संकलन के पश्चात महर्षि श्री वेद व्यास जी को पूर्ण आत्मसंतुष्टि प्राप्त हुई । श्रीमद्भागवत बारह स्कन्धों,तीन सौ पैंतीस अध्यायों और अठारह हजार श्लोकों से युक्त एक अपौरुषेय भक्ति शास्त्र है । श्रीमद्भागवत की महिमा अगाध,अनन्त व अतुलनीय है । पद्मपुराण के अनुसार यह साक्षात् भगवान् की शब्दमयी मूर्ति है;स्कन्दपुराण के अनुसार त्रिदेव भी सप्ताह-मास-वर्ष पारायण द्वारा इसका नित्य रसास्वादन किया करते हैं । गरुड़पुराण के अनुसार तो श्रीमद्भागवत में ही सर्ववेद-वेदान्त का समन्वय है -

अर्थोऽयं ब्रह्मसूत्राणां भारतार्थ-विनिर्णय :।
गायत्री भाष्यरूपोऽसौ वेदार्थ परिबृंहित:।।

"यह श्रीमद्भागवत शास्त्र ब्रह्मसूत्रों का अर्थस्वरूप, महाभारत शास्त्र का अर्थ निर्णायक,गायत्री मन्त्र का भाष्यरूप और वेद-भाष्य हैं।"

ब्रह्मसूत्र या वेदांतसूत्र समस्त उपनिषदों का सार है और उपनिषद समस्त वेदों का सार भाग है । अतः जो ब्रह्मसूत्र समस्त वेद-उपनिषद का सार है;उसका वास्तविक अर्थ श्रीमद्भागवत में प्राप्त होता है । महाभारत शास्त्र जो स्वयं ही वेदों का अर्थस्वरूप है;उसका अर्थ निर्णय भी श्रीमद्भागवत ही करता है । गायत्री मन्त्र जो वेदान्त प्रतिपाद्य ब्रह्म का स्वरूप है;उसका भाष्य भी श्रीमद्भागवत में उपलब्ध है और वेदों की वास्तविक व्याख्या भी श्रीमद्भागवत में ही हुई है । अतः श्रीमद्भागवत सर्ववेद-वेदान्त समन्वयात्मक ग्रन्थ है । गरुड़ पुराण और श्रीमद्भागवत से ज्ञात होता है कि समस्त पुराणों में सर्वश्रेष्ठ पुराण भी श्रीमद्भागवत ही है ।

"पुराणानां सामरूप :"(गरुड़ पुराण)

अर्थात 'वेदों में जिस प्रकार सामवेद सर्वश्रेष्ठ है,पुराणों में उसी प्रकार श्रीमद्भागवत सर्वश्रेष्ठ है ।'

निम्नगानां यथा गंगा देवानामच्युतो यथा ।
वैष्णवानां यथा शम्भु : पुराणानमिदं तथा ।।( भा, 12-13-16)

श्रीसूत जी ने श्री शौनकादि मुनियों के प्रति कहा -

'जिस प्रकार नदियों में गंगा, देवो में श्रीविष्णु और वैष्णवों में श्रीशिव सर्वश्रेष्ठ है,उसी प्रकार पुराणों में श्रीमद्भागवत सर्वश्रेष्ठ है।'







श्रीकृष्ण को जानो।
श्रीकृष्ण को मानो।
श्रीकृष्ण के बन जाओ।

कॉपीराइट © 2020 - www.gbps.life - सभी अधिकार सुरक्षित
SWTPL द्वारा डिजाइन और होस्ट किया गया

pic pic pic pic