स्वयं अवतारी श्रीचैतन्य महाप्रभु


भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु श्रीराधा कृष्ण के सम्मिलित अवतार है एवं श्री गौड़ीय सम्प्रदाय के प्रवर्तक है जोकि आज से 534 वर्ष पूर्व भगवती भागीरथी के पुनीत तट पर पश्चिम बंगाल के नदिया जिला के श्रीनवदीप श्री मायापुर में विक्रमी सम्वत् 1542, सन् 1486 ई. में फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन आविर्भूत हुए।

ब्रजेन्द्रनंदन श्रीकृष्ण ही श्रीमती राधिका के भाव और कांति को अंगीकार कर श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में प्रकट है।

पृथिवीते आछे जन नगरादि ग्राम।
सर्वत्र प्रचार हइबे मोर नाम।।

चैतन्य महाप्रभु की भविष्यवाणी है कि शीघ्र ही पृथ्वी के नगर-नगर, ग्राम-ग्राम में उनका प्रचार होगा।

प्राकट्य के कारण स्वयं भगवत्ता के प्रमाण

श्रीकृष्ण को जानो।
श्रीकृष्ण को मानो।
श्रीकृष्ण के बन जाओ।

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