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भजन - कृष्णतत्त्ववेत्ता श्री तेजस्वी दास जी

बोलो राधे-राधे... कि बेड़ा पार हो जाएगा

तू भूल के अपना आप रहा कर पाप

हरिनाम संकीर्तन - जीवानुगा शैलवासिनी दासी

हरिनाम संकीर्तन

आज बिरज में होली रे रसिया

राधे तेरे चरणों की यदि धूल ही मिल जाये

श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु दया करो मोरे

आज आनन्द मेघ छाये जगत में गौर हरि आये

ऐसी कृपा करो श्री राधे

किशोरी इतना तो कीजो

राधे- राधे जपा करो

तुम हमारे थे कन्हैया, तुम हमारे हो

श्री गुरु चरण कमल भज मन

मुरली का बजाना खेल भी है गिरिवर का उठाना खेल नहीं

मोहन से दिल क्यूँ लगाया है,

जीवन ये अनमोल रे

होली खेल रहे नंदलाल

मेरे गिनियों ना अपराध लाड़ली श्रीराधे

कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे

दूर नगरी बड़ी दूर नगरी

हरिनाम सुमर सुख पायेगा

कन्हैया तुम्हें इक नजर देखना है

यही हरिभक्त कहते हैं

चार दिनों की प्रीत जगत में

साँवरिया ले चल परली पार

पायो जी मैं तो कृष्ण रतन धन पायो

कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला

एक अर्ज मेरी सुन लो एक बार ओ कन्हैया

मुझे चरणों से लगाले मेरे श्याम मुरली वाले

मैं श्याम नाम का दीवाना

मोहे आन मिलो घनश्याम

भाव का भूखा हूँ मैं

तेरे पूजन को भगवान् बना मन मन्दिर आलिशान

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